Tuesday, December 29, 2009

अमूल्य वचन

जिसे ढूंढता तू फिरता है, मक्का मथुरा काशी
अरे! तेरे अन्दर बैठा है, वह घट-घट का वासी
साध्वी चंदनामती
जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर

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